अगरमेरागांवमेरादेशहोसकताहै
तोम्यारपहाड़क्योंनही ?
मेरापहाड़लेकिनऐसाकहनेसेयेसिर्फमेराहोकरनहीरहजातायेतोसबकाहैवैसे
हीजैसेमेराभारतहरभारतवासीकाभारत।खैरपहाड़कोआजदोअलगअलगदृष्टिसे
देखनेकीकोशिशकरतेहैं, एककल्पनाकेलोकमेंऔरदूसरासच्चाईकेधरातलमें।
जिनकीनई –नईशादियांहोतीहैंहनीमूनकेलियेउनमेंज्यादातरकीपहलीयादूसरीपसंद
होतीहैकोईहिलस्टेशन।बच्चोंकीगर्मियोंकीछुट्टीहोतीहैउनकीभीपहलीया
दूसरीपसंदहोताहैकोईहिलस्टेशन, अबबूढ़ेहोचलेहैंधर्मकर्मकरनेमनहोचला
हैतोभीयादआताहैम्यारपहाड़चारधामकीयात्राकेलिये।
पहाड़कीखूबसूरतीहोतीहीऐसीहैकिकिसीकोभीबरबसअपनीतरफआकर्षितकरले,
वो ऊंचीऊंचीपहाड़ियाँ, सर्दियोंमेंबर्फसेढकीवादियाँ, पहाड़ोंकोचुमनेकोबेताब
दिखतेबादल ,मदमस्तकिसीअलहड़सीभागतीपहाड़ीनदियां, सांपकीतरहभागतीहुई दिखायीदेतीसड़कें, कहींदिखायीदेतेवोसीढ़ीनुमाखेततोकहींदिलकोदहलादेनी
वालीघाटियां , जाड़ोंकीगुनगुनीधूपऔरगर्मियोंकीशीतलता।शायदयहीसबहैजो
लोगोंकोअपनीऔरखिंचताहै, बरबसउन्हेंआकर्षितकरताहैअपनेतरफआनेको।
लेकिनपहाड़ मेंरहनेवालेकेलिये, एकपहाड़ीकेलियेयेशायदरोजकीहीबातहो !!
मेरापहाड़सेक्यारिश्ताहैयेबतानामैंआवश्यकनहींमानतापरपहाड़मेरेलिये
माँकाआंचलहै ,मिट्टीकीसौंधीमहकहै , ‘ हिसालू‘ केटूटेमनकेहै ,
‘काफल‘ कोनमक –तेलमेंमिलाकरबनास्वादिष्टपदार्थहै ,
‘क़िलमोड़ी‘ और ‘घिंघारू ‘
केस्वादिष्ट जंगलीफलहैं ,
‘भट‘ की ‘चुणकाणी ‘ है ,
‘घौत‘ कीदालहै ,
मूली– दही डालके ‘सानाहुआनीबू‘ है
‘बेड़ूपाकोबारामासा ‘ है ,
‘मडुवे‘ कीरोटीहै
‘मादिरे‘ काभातहै ,
‘घट‘ कापिसाहुआआटाहै ,
‘ढिटालू‘ कीबंदूकहै ,
‘पालकका कापा‘ है ,
‘दाणिमकीचटनी ‘ है।
मैंपहाड़कोकिसीकविकीआँखोंसेनयी– नवेलीदुल्हनकी तरहभीदेखताहूंजहांचीड़
औरदेवदारुकेवनोंकेबीचसरसरसरकतीहुईहवाकानोंमेंफुसफुसाकरनाजानेक्या
कहजातीहैऔरएकचिंतितऔरसंवेदनशीलव्यक्तिकीतरहभीजोजन , जंगल ,जमीनकी
लड़ाईकेलियेदेहकोढालबनाकरलड़रहाहै. लेकिनमैंनहींदेखपाताहूँपहाड़को
तो.. डिजिटल कैमरालटकायेपर्यटककीभाँतिजोहरखूबसूरतदृश्य कोअपनेकैमरेमें
कैदकरअपनेदोस्तोंकेसाथबांटनेपरअपनेकीतीस–मारखांसमझने लगताहै।
पहाड़, शिवकीजटासेनिकलीहुईगंगाहै, कालिदासकाअट्टाहासहै, पहाड़सत्यका
प्रतीकहै , जीवनकासाश्वतसत्यहै।कठिनपरिस्थितियोंमेंभीहँसहँसकरजीनेकी
कलासिखानेवालीपाठशालाहै. गाड़, गध्यारोंऔरनौलेकाशीतल, निर्मलजलहै,
तिमिल केपेड़कीछांहहै, बांजऔरबुरांसकाजंगलहै, आदमखोरलकड़बग्घोंकीकर्मभूमिहै।
मिट्टीमेंलिपटे, सिंगाणेकेलिपोड़ेकोकमीजकीबांहसेपोछ्तेनौनिहालोंकी
क्रीड़ा–स्थली है।
मोव ( गोबर) कीडलियाकोसरमेंलेजातीमहिलाकीदिनचर्याहै,
पिरूलसारती , ऊंचेऊंचेभ्योलोंमेंघासकाटतीऔरतकाजीवनहै।
कैसेभूलसकताहैकोईऎसेपहाड़को, पहाड़तूनेहीतोदीथीमुझेकठोरहोकरजीवनकी
आपाधापियोंसे लड़नेकीशिक्षा।कैसेभूलसकताहूँमैंअसोजकेमहीनेमेंसिरपर
घासकेगट्ठरकाढोना, असोजमेंबारिशकीतनिकआशंकासेसूखीघासकोसारकेफटाफट
लूटेकाबनाना, फटीएड़ियोंकोकिसीक्रैकक्रीमसेनहींबल्कितेलकीबत्तीसे
डामनाफिरवैसलीननहींबल्किमोम–तेलसेउनचीरोंकोभरना, लीसेकेछिलुकेसे
सुबहसुबहचूल्हे…..
By Kakesh